गुरुतेग बहादुर का जन्म 1 अप्रैल 1621ई़़ में अमृतसर में हुआ था वे सिख धर्म के नौवें गुरु थे जो एक निडर योद्धा थे विद्वान कवि आध्यात्मिक नेता थे गुरु हरगोविंद के सबसे छोटे पुत्र थे उन्हें हिंदी की चादर के रूप में भी जाना जाता था क्योंकि उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए बलिदान दिया और मुगल शासक औरंगजेब के अत्याचारों के खिलाफ खड़े हुए इनकी माता का नाम नानकी था उन्होंने 1633 ईस्वी में माता गुजरी से विवाह किया मुगल सम्राट औरंगजेब ने उन्हें दिल्ली में मृत्यु दंड दिया 20 मार्च 1664 ई को उन्हें सिखों का नौवां गुरु नियुक्त किया गया बचपन में उन्हें शस्त्र विद्या तलवारबाजी घुड़सवारी का प्रशिक्षण मिला लेकिन उनका झुकाव आध्यात्मिक जीवन की ओर अधिक था उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया खास कर कश्मीरी पंडितों के उत्पीड़न के विरुद्ध खड़े होकर/ उन्होंने 115 श्लोक लिखे जो सिख धर्म ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल हैं उन्होंने अंधविश्वास जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाई आज दिल्ली में उनके बलिदान से संबंधित गुरुद्वारा शीशगंज साहिब और गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब स्थित है गुरु हरगोविंद के पांच बेटे बाबा गुरूदित्ता,सूरजमल अनिल राय, अटल राय, और त्यागमल था उनकी एक बेटी बीबी वीरो थी गुरुदेव बहादुर का पहला नाम त्यागमल था धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के लिए खड़े रहे आनंदपुर साहिब(तत्कालींचक_ननकी)शहर की स्थापना की सिखों के धर्म का प्रचार प्रशासकीय और कई यात्राएं की गुरु ग्रंथ साहिब में उनके 116भजनों को शामिल किया गया।
रिपोर्ट गोकरण प्रसाद







