*42 वर्ष की शिक्षा सेवा के उपरांत शिक्षिका श्रीमती सुनीता रानी को मिला सम्मान*
शिक्षा के क्षेत्र में चार दशकों से भी अधिक समय तक निरंतर समर्पण और उत्कृष्ट योगदान देने वाली वरिष्ट शिक्षिका श्रीमती सुनीता रानी को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर निशक्त जान सेवा संस्थान के अध्यक्ष अमृतलाल एवं पूर्व मंत्री रामचरण वर्मा ने उन्हें समारोह पूर्वक दोशाला उड़ाकर सम्मानित किया।
श्रीमती सुनीता रानी की प्रथम नियुक्ति 30 जनवरी 1973 को ग्राम अभयपुर, ब्लॉक पूरनपुर में सहायक अध्यापक पद पर हुई थी। अपने कर्मनिष्ठ कार्य और विद्यार्थियों के प्रति संवेदनशील रवैये के चलते वर्ष 2007 में उन्हें ग्राम मोहनपुर में मुख्य अध्यापक के पद की जिम्मेदारी मिली। मार्च 2016 में वे मुख्य अध्यापक पद से सेवानिवृत्त हुई। इस प्रकार उन्होंने कुल 42 वर्षों तक शिक्षा सेवा का अनुपम प्रतिमान प्रस्तुत किया।
अपने सेवा कार्यकाल में उन्होंने हजारों छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ अनुशासन, संस्कृति और समाज सेवा का भी पाठ पढ़ाया। समाज में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें पूर्व में ही सम्मान प्राप्त हो चुका है — दो बार माननीय विधायक (गन्ना राज्य मंत्री) श्री संजय सिंह गंगवार एवं एक बार तत्कालीन जिलाधिकारी श्री पुलकित खरे जी द्वारा।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि श्रीमती सुनीता रानी ने अपने शिक्षकीय जीवन में हमेशा विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य को प्राथमिकता दी है। उनकी सेवाएं आने वाली पीढियां के लिए प्रेरणास्रोत है।
शैली शर्मा ने कहा कि एक शिक्षक का प्रभाव जीवन भर रहता है – आपका आभार मेरी गुरु मेरी मां । आपका मार्गदर्शन और विश्वास हर कदम पर मेरा सहारा है। शिक्षा के बगीचे में आप हमें फूल की तरह खिलाते रहे हैं। आप सपनों और हकीकत के बीच के पुल हैं। आप वो दीपक हैं जो अंधेरे में राह दिखाते आते रहें हैं।
इसी अवसर पर निशक्त जान सेवा संस्थान द्वारा अन्य 16 उत्कृष्ट शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया, जिनमें दीनदयाल शर्मा और लक्ष्मीकांत शर्मा प्रमुख रहे। कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने के लिए मंच पर अमृतलाल, कविता बंशवाल, डॉक्टर प्रेम सागर शर्मा, शैली शर्मा, अनिल कमल, राजेंद्र सक्सेना, हरि ओम वाजपेई तथा अभिलाष गुप्ता सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।।
रिपोर्ट चाँद सेठ चौधरी