सावित्रीबाई फुले के जन्म दिवस पर विशेष
सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी सन 1831 को हुआ था उनके पिता का नाम खानदोजी नेवेश और माता का नाम लक्ष्मीबाई था सावित्रीबाई फुले का विवाह 1841 में ज्योतीराव फुले से हुआ था सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रधानाचार्य और पहले किसान स्कूल की संस्थापिका थी सावित्रीबाई का जन्म भारत के महाराष्ट्र राज्य के छोटे से गांव नए गांव में हुआ सावित्रीबाई फुले बचपन से ही बहुत जिज्ञास और महत्वाकांक्षी 1840 में 9 साल की उम्र में सावित्रीबाई का विवाह ज्योतिबा फुले से हुआ था और वह बालिका वधू बनी इसके बाद जल्द ही उनके साथ पूणे चली गए सावित्रीबाई फुले लक्ष्मी और खानदोजी नवा से पाटिल सबसे छोटी बेटी थी पाटिल एक महान राष्ट्रीय गान कवित्री शिक्षक समाज सुधारक और शिक्षिका थे उन्होंने अपने पति ज्योति रख ले के साथ भारत में विधवाओं के अधिकार को नारीवादी आंदोलनबढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया भारत में नारीवादी आंदोलन की स्थापना का श्रेय दिया जाता है। 1831 में जन्मी देश की पहली महिला शिक्षक के 192 जयंती है जाति प्रथा के खिलाफ पहले बालिका विद्यालय 3 जनवरी 1848 को खुला था सावित्रीबाई ने उसे विद्यालय के हासिल किया उन्होंने बाद में अनुभव विकेट था खुले दपद में ने स्कूल के प्रेरणा संध्या परार फरार नमक के द्वारा अहमदनगर के अमेरिकन मिशन में चलाएं जा रहे लड़कियों के स्कूल से ग्रहण किया जो उन्होंने 1827 में भारत आने के बाद खोला था विरोधों के बावजूद 1829 तक इस स्कूल के करीब 4 साल लड़कियों पढ़ रहे थे वर्ष 1830 के दौरान पड़े के शनिवार वाडा में गुप्त रूप से सात आठ लड़कियों के स्कूल जाने का उल्लेख मिलता है विरोधों के बीच भी खुले दे पंक्ति का विद्यालय बैंक की चोट पर चल रहा था और उसने पढ़ने वाली लगभग सभी लड़कियां विंचित वर्ग से थे करियर पोने 200 वर्ष पहले के समाज में जब नारी शिक्षा किसी पाप से काम नहीं पढ़ रहे थे सावित्रीबाई को पढ़ना लिखना का दंड घटना पड़ा विद्यालय जानने के लिए जब वह निकलती थी तो उसके पहले में एक और साड़ी होती थी क्योंकि रास्ते में लोग खरी खोटी सुनाने के साथ ही उन पर गंदी गंदगी और कीचड़ फेंक देते थे प्रतिरोध और शत्रांत शतरंज का यह दौर लंबा चला प्रकाश तब हुई जब देश ने समां साजिश रचने रचकर उन्हें उनके ही घर से निकलवा दिया लेकिन अपनी निष्ठा और निसान सेवा कैसे धीरे-धीरे फूल डे पंक्ति के घोर विरोध विरोधियों को भी अपना बना लिया एक दिन ऐसा आया जब कुछ लोग कुछ लोग के सारे पर उन्हें जान से मारने की कोशिश करने वाले घोड़ा नामदेव कुमार और नरेंद्र खुद उनके शिष्य हो गए थे और उनके एक तो उनके अंग रक्षक भी बना था। 28 जनवरी सन 1853 को 2 दिसंबर पंडित गर्भवती स्त्रियों के लिए उन्होंने बाल हत्या प्रतिबंध ग्रह की स्थापना के साथ ही विधवा विवाह की परंपरा शुरू की 24 दिसंबर सन 1873 को सत्यशोधक शोधक समाज की स्थापना उन्हें की दिन ही सावित्रीबाई को पहले किसान स्कूल की स्थापना का होने होने का श्रेय भी जाता है फूल दीपांशी के संगठित संघर्ष का ही नतीजा था कि उसे समय सरकार को एक कृषि कानून पर करना पड़ता था पड़ा था एक बार आत्महत्या करके जा रहे करने जा रही एक विधवा महिला काशीबाई का घर में ही प्रसव करवरकर सावित्रीबाई ने उसके बच्चे यशवंत को अपने देखत पुत्र के रूप में गोद लिया और पाल पॉस्कर उसे डॉक्टर बनाया वर्ष 1897 की बात है फ्लैग में के भीषण प्रकोप में मुंबई वासी जब चौहान की तरह हमार मर रहे थे तब खुद की जान के परवाह किए बिना सावित्रीबाई ने प्लग रोगियों की सेवा में दिन-रात एक किया हुआ था दरवाजे से 10 मार्च सन 1897 को इस महावीर महामारी ने उन्हें भी निकाल लिया ऐसी महान थी भारत की भारत मां की लाडली सावित्रीबाई फुले। लेखक
गोकरन प्रसाद भारत वन न्यूज़ चैनल ब्यूरो के मोबाइल नंबर 7518 6549 6 8।