भगवान राम के नगरी अयोध्या लाखों महापुरुषों की की कर्मभूमि भी रही है यह पवित्र भूमि हिंदुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है यहां पर भगवान राम का जन्म हुआ यह भगवान राम की जन्मभूमि है सप्त पुरिया में एक अयोध्या भारत की प्राचीन नागरियों में से एक अयोध्या को हिंदू पौराणिक इतिहास में पवित्र सप्तपूरियों अयोध्या मथुरा माया हरिद्वार काशी कांची अवंतिका उज्जैन और द्वारिका में शामिल किया गया है अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है अयोध्या की स्थापना हेतु स्थान का चयन पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा से जब मनु ने अपने लिए एक नगर के निर्माण विष्णु जी के पास ले गए विष्णु जी उन्हें साकेत धाम एक उपयुक्त स्थान बताया विष्णु जी ने इस नगरी को बसाने के लिए ब्रह्मा तथा मनु के साथ देव शिल्पी विश्वकर्मा को भेज दिया इसके अलावा अपने राम अवतार के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने के लिए महर्षि वशिष्ठ को भी उनके साथ भेजा वशिष्ठ द्वारा सरयू नदी के तट पर लीला भूमि का चयन किया गया जहां विश्वकर्मा ने नगर निर्माण किया इन्होंने अयोध्या की स्थापना सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर की रामायण के अनुसार विवश्वान के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापना की गई वेवश्वत मनु लगभग 6673 ईशा पूर्व हुए थे ब्रह्माजी का पुत्र मारीक्ष से कश्यप का जन्म हुआ कश्यप से विवशवान के पुत्र वैवस्वत पुत्र वैवस्वत मनु थे वैवस्वत के 10 पुत्र इल इच्छवाकू कुश नाम आशिध ध्रष्ठ नरिसियंत करूस महाबली क्षरयति प्रषध थे इससे इच्छवक कुल में आगे चलकर प्रभु श्री राम हुए अयोध्या पर महाभारत काल तक इसी वंश के लोगो का शासन रहा इनकी स्थापना का कार्य 2200 ईस्वी के आस पास माना है राम चंद्र जी के पिता 63 वे शासक थे पहले ये कौशल जनपद की राजधानी थी इसका क्षेत्र फल 96 वर्ग मील था राम एक ऐतिहासिक महापुरुष थे इसके पर्याप्त प्रमाण है भगवान राम का जन्म 5114 इश्वी पूर्व हुआ था 2003 मैं पुरातात्विक सर्वे मैं कहा गया कहा बाबरी मस्ज़िद बनी थी वहां पर मंदिर होने के संकेत मिले हैं अयोध्या में महान योद्धा ऋषि मुनि और अवतारी पुरुष हो चुके है भगवान राम ने भी यही जन्म लिया था जैन मत के अनुसार 24 तीर्थंकरों मैं से 22 इच्छवाक बंश के थे सर्वप्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के साथ चार तीर्थंकरों का जन्म अयोध्या ही है बौद्ध मान्यताओं के अनुसार बुद्ध देव ने अयोध्या में 16 वर्षो तक निवास किया श्री राम के पुत्र कुश ने अयोध्या राजधानी का पुनर निर्माण कराया था इसके बाद 44 पीढ़ियों तक इच्छ्वक वंश का अस्तित्व 14 वी सदी तक बरकरार रहा ये ब्रहद्रथ के कई काल के बाद ये नगर मगद के मोर्यो से लेकर गुप्तो और कन्नौज के सासको के आधीन रहा अंत में यहां महमूद गजनी के भांजे सय्यद सालार ने तुर्क शासन की स्थापना की वह बहराइच में 1033 इशवी मैं मारा गया उसके बाद जोनपुर के सको का राज्य स्थापित हुआ तो अयोध्या सको के अधीन हो गया सक साशक महमूदशाह के साशन काल 1440 ईस्वी मैं 1526 मैं बाबर ने मुगल राज्य की स्थापना की और उसके सेना पति मीर बाकी ने 1528 को राम मंदिर पर आक्रमण कर के मंदिर गिरवा कर मस्जिद का निर्माण कराया जिसका नाम बाबरी मस्जिद रखा 6 दिसंबर 1992 मैं राम जन्म भूमि समिति ने आंदोलन के दौरान मस्जिद ढाहा गिरा दी गई उसी स्थान पर माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार राम मंदिर का निर्माण कराया गया है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी सन 2024 को बड़ी धूम धाम से होगी सभी लोगो से अनुरोध है अपने गांव के मंदिर अथवा घेर के ही देव स्थान को अयोध्या मानकर पूजा अर्चना तथा दीपक जलाकर दीपावली मनाएं ।
19 जनवरी 1885 को हिंदुत्व के महंत रघुवीर दास ने पहली बार इस मामले को फैजाबाद के न्यायधिस पंडित हरकिशन के सामने रखा था 22दिसंबर 1949 को पहली बार राम और सीता की मूर्तियां राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद में प्रकट हुए उसके बाद वख्फ बोर्ड ने जमीन अपने होने का दावा किया उसके विरुद्ध हिंदू लोगों ने भी मामला दर्ज करा दिया जिसकी वजह से सरकार को जन्म भूमि स्थान को विवादित घोषित करना पड़ा और उस जगह को बंद करना पड़ा
लेखक गोकरन प्रसाद ब्यूरो चीफ भारत वन न्यूज़ चैनल सीतापुर संपर्क सूत्र 7518654968