सीतापुर: सीतापुर मिश्रिख में ,विकसित भारत संकल्प यात्रा अभियान के अंतर्गत ब्लाक मिश्रिख के गर्म अरसे ई में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप विधायक माननीय शशांक त्रिवेदी जी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के बारे विस्तृत रूप से बताया
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और ‘लौहपुरुष’ कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत की आजादी और भारतीय रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने में अपना अहम योगदान दिया था। सरदार पटेल भारत के पहले उपप्रधान मंत्री और भारत के पहले गृह मंत्री भी थे। देश की आजादी में उन्होंने जितना योगदान दिया, उससे कहीं ज्यादा योगदान उन्होंने आजाद भारत को एक सूत्र में बांधने में भी किया था।सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 नडियाद, गुजरात में हुआ था। उनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल और माता का नाम लाडबा देवी था। वल्लभभाई पटेल का बचपन करमसाद के पैतृक खेतों में बीता। यहीं से वह मिडिल स्कूल से पास हुए और नडियाद के हाई स्कूल में गए, जहां से उन्होंने 1897 में मैट्रिक पास किया। उन्होंने बाद में लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की और भारत आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे और इसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली।
ये वो दौर था जब पूरे देशभर में स्वतंत्रता के लिए आंदोलन चल रहे थे। वहीं इन आंदोलनों में महात्मा गांधी की मुख्य भूमिका थी। सरदार पटेल महात्मा गांधी से बहुत प्रेरित थे। यही कारण था कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश को आजादी दिलाने और आजादी के बाद देश का शासन सुचारु रुप से चलाने में सरदार पटेल का विशेष योगदान रहा है।
वर्ष 1917 में भारत में प्लेग और 1918 में अकाल जैसी आपदाएँ भी आईं और दोनों ही मौकों पर सरदार पटेल ने संकट निवारण के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। वर्ष 1917 में उन्हें ‘गुजरात सभा’ का सचिव चुना गया, जो एक राजनीतिक संस्था थी, जिसने गांधीजी को उनके अभियानों में बहुत मदद की थी।
वहीं 1918 में ‘खेड़ा सत्याग्रह’ के दौरान महात्मा गांधी के साथ संबंध घनिष्ठ हो गए। उस समय गांधीजी ने कहा था कि यदि वल्लभभाई की सहायता नहीं होती तो “यह अभियान इतनी सफलतापूर्वक नहीं चलाया जाता”। इसके बाद पंजाब में ब्रिटिश सरकार के नरसंहार और आतंक के साथ ‘खिलाफत आंदोलन’ शुरू हुआ। इसमें गांधीजी और कांग्रेस ने असहयोग का निर्णय लिया। वल्लभभाई ने हमेशा के लिए अपनी कानून की प्रैक्टिस छोड़ दी और खुद को पूरी तरह से राजनीतिक और स्वतंत्रता के कार्यों में लगा दिया।
इस समय तक कांग्रेस ने देश के लिए पूर्ण स्वराज के अपने लक्ष्य को स्वीकार कर लिया था। साइमन कमीशन के बहिष्कार के बाद गांधीजी द्वारा प्रसिद्ध नमक सत्याग्रह शुरू किया गया।
इसके बाद ‘अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी’ ने 8 अगस्त, 1942 को बंबई में प्रसिद्ध ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित किया। जिसके बाद फिर से ब्रिटिश सरकार द्वारा वल्लभभाई को कार्य समिति के अन्य सदस्यों के साथ 9 अगस्त, 1942 को गिरफ्तार कर लिया गया और गांधीजी, कस्तूरबा के समय अहमदनगर किले में नजरबंद कर दिया गया।
इस बार सरदार लगभग तीन वर्ष तक जेल में रहे। यह उनके जीवन की सबसे लंबी जेल यात्राओं में से एक थी। जब कांग्रेस नेताओं को मुक्त कर दिया गया और ब्रिटिश सरकार ने भारत की स्वतंत्रता की समस्या का शांतिपूर्ण संवैधानिक समाधान खोजने का निर्णय लिया, उस समय वल्लभभाई पटेल कांग्रेस के मुख्य वार्ताकारों में से एक थे।
मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का संपूर्ण जीवन
जब भारत को वर्ष 1947 में पूर्ण स्वतंत्रता मिली तो सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के प्रथम उप प्रधान मंत्री बने और गृह मंत्री बनाएं गए। इसके साथ ही उन्होंने राज्य और सूचना और प्रसारण विभागों के लिए जिम्मेदारी भी उठाई। लेकिन एक गंभीर समस्या अभी भी सामने खड़ी थी जिसका उन्हें सामना करना था। उस समय देश में छोटी-बड़ी 562 रियासतें थीं। इनमें से कई रियासतों ने तो आजाद रहने का ही फैसला कर लिया था, लेकिन सरदार पटेल ने इन सबको देश में मिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। देश की बड़ी जनसंख्या और राज्यों का एकीकरण वल्लभभाई पटेल के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक थी।
सरदार वल्लभभाई पटेल ने बड़े साहस और दूरदर्शिता के साथ भारत-पाकिस्तान विभाजन की समस्याओं को सुलझाया, कानून और व्यवस्था को बहाल किया। इसके साथ ही दोनों देशों से आए हजारों शरणार्थियों के पुनर्वास का काम किया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के चले जाने के बाद आम सेवाओं को दुबारा सुचारु रूप से चलाने और हमारे नए लोकतंत्र को एक स्थिर प्रशासनिक आधार प्रदान करने के लिए एक ‘नई भारतीय प्रशासनिक सेवा’ का भी गठन किया।
सरदार वल्लभभाई पटेल का मुंबई में 15 दिसंबर 1950 को निधन हो गया था। वल्लभभाई पटेल भारत की स्वतंत्रता के प्रमुख वास्तुकारों और अभिभावकों में से एक थे और देश की स्वतंत्रता को मजबूत करने में उनका योगदान अद्वितीय है।
यह भी पढ़ें – सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय
भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस
भारत ने सदैव ही देश और दुनिया को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का मंत्र दिया है। हमारे हजारों साल पुराने शास्त्रों तथा पुराणों में भी ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के महत्व को बताया गया है जिसका अर्थ है “विश्व एक परिवार है”। भारत में राष्ट्रीय एकता की भावना को व्यवहार में लाने के लिए 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन हमारे देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था।
सरदार पटेल ‘लौह पुरुष’ के रूप में जाने जाते हैं, तथा उन्होंने आजादी के समय 562 रियासतों को एकजुट करके एक संघ का रूप दिया, जिसे आज हम भारत के नाम से जानते हैं। इसके अतिरिक्त भारत बहु-धर्मीय, बहु-सांस्कृतिक राष्ट्र है, यहाँ पर अनेक संस्कृति और धर्म के लोग आपसी सौहार्द और सदभाव से रहते हैं, हम कह सकते है की भारत अनेकता में एकता का सटीक उदाहरण है। विश्व के किसी भी अन्य देश में इतनी सांस्कृतिक भिन्नताएं नहीं मिलेगी जितनी हमारे देश में हैं।
हर नागरिक की यह मुख्य जिम्मेदारी है कि वह महसूस करे कि उसका देश स्वतंत्र है और अपने स्वतंत्रता देश की रक्षा करना उसका कर्तव्य है।
भारत एक अच्छा उत्पादक है और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।
इस मिट्टी में कुछ खास है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।
भले ही हम हजारों की संपत्ति खो दें, और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर और सत्य में अपना विश्वास बनाए रखना चाहिए।
जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के ऊंच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।
आपकी भलाई आपके रास्ते में बाधा है, इसलिए अपनी आंखों को गुस्से से लाल होने दें, और अन्याय के साथ मजबूती से लड़ने की कोशिश करें।
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) अखंड भारत के निर्माता तथा भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री व प्रथम गृहमंत्री “सरदार वल्लभ भाई पटेल” को समर्पित एक स्मारक है। कर्यक्रम में माननीय विधायक श्री शशांक त्रिवेदी जी, जिला अध्यक्ष राजेश शुक्ला जी ब्लॉक प्रमुख महोली, ब्लॉक प्रमुख मिश्रिख मंडल अध्यक्ष मिश्रिख व, आदि कार्यकर्ता गमौजूद रहे
न्यूज़ रिपोर्टर: गोकरण प्रसाद
मो:7518654968