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मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व #Bharat1news

मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व

सीतापुर :मन्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने उसके घर जाते है शनि देव मकर राशि के स्वामी है इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगा जी भागीरथ के पीछे ही– पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थी , इस दिन भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है इस लिए इस दिन लोग मकर संक्रान्ति का त्योहार मनाते है,

उत्तर भारत में मकर संक्रान्ति के नाम से और गुजरात में उत्तरायण के नाम से जाना जाता है मकर संक्रान्ति मात्र एक हिंदू त्यौहार है जो चंद्र के बजाय और सौर कलेंडर पर आधारित है मकर संक्रान्ति सूर्य के दक्षिणी से उत्तरी गोलार्ध तक की यात्रा का उत्सव है और इसे शुभ समय माना जाता है मकर का अनुवाद मकर है और संक्रांति का अर्थ है संक्रमण बाबा गोरख नाथ की यह सलाह सभी नाथ योग्यो के बड़े काम आई दाल चावल और सब्जी बेहद कम समय में आसानी से पक गया और इसके बाद बाबा गोरखनाथ ने खिचड़ी का नाम दिया खिलजी से युद्ध समाप्त होने के बाद बाद गोरखनाथ और योगियों ने मकर संक्रान्ति के दिन उत्सव मनाया और उस दिन लोगो को खिचड़ी बाटी मकर संक्रान्ति का महत्व होता हैं कि सूर्य देव उतरायण हो जाते है वह उत्तर की और होने लगते है इसे उत्तरायण पुण्य काल कहा जाता है जो देवताओं का समय यह सही है की पूरा साल ही वैसे तो दिव्य है लेकिन इस समय को थोड़ा और अधिक माना जाता है उसके बाद सारे त्यौहार प्रारंभ होते हैं/देवताओं का दिन सूर्य का मकर में प्रवेश यानी मकर संक्रान्ति दान पुण्य की पावन तिथि है इसे देवताओं का दिन भी कहा जाता हैं/इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते है/

शास्त्रों में उत्तरायण के समय को देवताओं का दिन और सक्षिण्य को देवताओं की रात कहा जाता है/

ज्योतिष चार्य ऋषि दिवेदी ने बताया पहली बार मकर संक्रान्ति १५जनवरी १९०२ में हुई थी जबकि १८ वी सदी में मकर संक्रान्ति १२ और १३जनवरी को मनाई जाती थी साल १९६४में मकर संक्रान्ति पहली बार १५जनवरी को मनाई गई थी इसी के साथ घर घर दूसरे और तीसरे साल १४ जनवरी और साल में १५ जनवरी को मनाई जाती है

मकर संक्रान्ति का उल्लेख भारत के दो महा काव्यों ग्रंथो पुराणों और महाभारत में किया गया है कुछ मान्यताओं के द्वारा यह वैदिक ऋषि विसवा मित्र थे जिन्होंने इस त्यौहार को मनाने की शुरुआत की थी और यह भी माना जाता है महाभारत में पांडवो ने भी अपने निर्वासन के दौरान इस तरह उत्सव में भाग लिया था /मकर संक्रान्ति दान और आशीर्वाद बाटने पर केंद्रित है इस लिए अपने शब्दो द्वारा किसी को ठेस पहुंचाने से बचे ,सभी के प्रति दया और सम्मान बढ़ाए १५जनवरी २० २०२५ को ही मकर संक्रान्ति का स्नान दान करना लाभ दायक होगा

ब्यूरो चीफ गोकरन प्रसाद

Mo: 7518654968

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