अटल जी अपने नाम के ही समान सदैव अटल थे भारतीय इतिहास में तीन बार के प्रधानमंत्री रहने वाले अटल बिहारी वाजपेई जी का जन्म एक मध्य वार्षिक परिवार में 25 दिसंबर 1924 में मध्य प्रदेश जिला के या ग्वालियर के एक गांव में हुआ था पैतृक गांव बटेश्वर उनके पिता ऋण बिहारी वाजपेई एक शिक्षक और एक कविता भी थे उनकी माता का नाम कृष्णा देवी वाजपेई और उनके 7 भाई बहन भी थे अटल बिहारी वाजपेई जी ने शिक्षा कब और कहां से ग्रहण की वाजपेई जी ने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा सरस्वती शिक्षा मंदिर गोरकी बाड़ा विद्यालय से प्राप्त कि इसके बाद उन्होंने स्नातक की शिक्षा एवं लक्ष्मी बाई कॉलेज से पूरी की और विद स्नातक की डिग्री उन्होंने कानपुर मैं स्थित डीएवी कॉलेज से अर्थशास्त्र विषय में ली अटल जी छात्र जीवन से ही राजनीतिक तत्वों का संबंधित वाद विवाद में हिस्सा लेना पसंद करते थे और वह हमेशा ऐसी प्रतियोगिताओं मैं भाग लेते रहते थे आगे चलकर सन 1939 अपने छात्र जीवन में उन्होंने स्वयंसेवक स्वयंसेवक की भूमिका भी निभाई उन्होंने हिंदी न्यूज़ पेपर में संपादक का काम भी किया के लिए अत्यंत क्षती वाला दिन था हमेशा देश ने एक महान राजनेता को खो दिया आज भी अटल जी द्वारा दिए गए भाषण लिखी गई किताबें कविताओं और प्रधानमंत्री के तौर पर किए गए कामों आज द्वारा उन्होंने सम्मान के साथ याद किया जाता जनता के बीच प्रसिद्ध अटल बिहारी वाजपेई अपनी राजनीतिक प्रतीक माता के लिए जाने जाते हैं 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतंत्र का गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया वह 1996 बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद वह पहले प्रधानमंत्री हैं जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री बने वरिष्ठ सांसद श्री वो 23 की राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक संस्कृत रहे वह लोकसभा लोगों का सदन में नौ बार और राज्यसभा राज्यों की सभा में दो बार चुने गए जो अपने आप में ही एक कीर्तिमान है भारत के प्रधानमंत्री विदेश मंत्री संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थाई समितियां के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेशी नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई आपको बता दें वाजपेई जी ने कभी शादी नहीं कि उन्होंने दो बच्चियों को गोद लिया था जो बीएन कॉल की बेटियां नमीता और नंदिता थी आजादी के लड़ाई में वे अनेक नेताओं के साथ मिलकर लड़े फिर हमारे देश के लिए अत्यंत दुख भरा दिन रहा जब 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली थी यह दिन हमारे देश के लिए सभी देशवासियों श्री वाजपेई जी ने अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राष्ट्रवादी राजनीति में तब आए जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ आंदोलन जिसने उपनिदेवेसवाद का अंत किया गया मैं भाग लिया वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी सूची विदेशी मामलों के प्रति बढ़ ही उनकी यह सूची वर्षों तक बनी रही एक विभिन्न बहुपक्षीय और विपक्षी विपक्षी मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने इस कौशल का परिचय दिया श्री वाजपेई जी ने अपने कार्य पत्रकार के रूप में शुरू किया था और 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी आज की भारतीय जनता पार्टी को पहले भारतीय जन संघ के नाम से जाना जाता था जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का अभिन्न अंग है उन्होंने कई कविताएं भी लिखी हैं जैसे समीक्षकों द्वारा सराहा गया आप भी वह राजनीतिक मामलों से समय निकालकर संगीत सुनने और बखाना बनाने जैसे अपने शौक पूरे करते हैं श्री वाजपेई का जन्म 25 दिसंबर 1924 ई को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक विनम्र स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ निजी जीवन में प्राप्त सफलता उनके राजनीतिक कौशल और भारतीय लोकतंत्र की देन पिछले कई दशकों में वह ऐसे नेता के रूप में उभरे जो विश्व के प्रति उदारवादी सोच लोकतांत्रिक आदर्श के प्रति प्रतिबंधित को महत्व देते हैं महिलाओं के साशास्ततीकारण और सामाजिक समानता के समर्थक श्री वाजपेई भारत को सभी राष्ट्रीय के बीच एक दूरदर्शी विकसित मजबूत और सम डी राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं वह ऐसे भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं जिस देश की सभ्यता का इतिहास 5000 साल पुराना है और जो अगले हजारों वर्ष में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है उन्हें भारत के प्रति उनके नि स्वार्थ समर्पण और 50 से अधिक वर्ष तक देश और समाज की सेवा करने के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पदम विभूषण दिया गया 1994 उन्हें भारत का सर्वश्रेष्ठ सांसद चुना गया अपने नाम के ही समान अटल जी एक प्रतिष्ठ राष्ट्रीय नेता परख राजनीतिक न्यू शर्ट सामाजिक कार्यकर्ता ऑन कई साहित्यिक पत्रिका और बहु आयामी व्यक्ति वाले व्यक्ति थे अटल जी जनता की बातों को ध्यान से सुनते और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करते हैं उनके कार्य राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को दिखाते हैं
अटल जी के जन्मदिन पर विशेष
लेखक गोकरन प्रसाद
ब्यूरो चीफ भारत 1 न्यूज चैनल